कौन कहता है रब का
दीदार नहीं होता
आदमी खुद ही है जो
तलबगार नहीं होता
*अपने "गुरु "* के
चरणों में सर को झुका
कर तो देखो
फिर ऐंसी कोई जगह
नहीं जहाँ रब का
दीदार नहीं होता
दीदार नहीं होता
आदमी खुद ही है जो
तलबगार नहीं होता
*अपने "गुरु "* के
चरणों में सर को झुका
कर तो देखो
फिर ऐंसी कोई जगह
नहीं जहाँ रब का
दीदार नहीं होता
Comments
Post a Comment