*तू मूझे संभालता है, ये तेरा उपकार है मेरे दाता*
*वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी हस्ती कहाँ,*
*रोज़ गलती करता हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,*
*मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से!*
*तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..I*
*बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है*
*वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी हस्ती कहाँ,*
*रोज़ गलती करता हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,*
*मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से!*
*तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..I*
*बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है*
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