परमात्मा हमारे लिये धन का विषय नहीं हे, ध्यान का विषय हे, इस लिए मंदिर भिक्षा के लिये नहीं बल्कि परमात्मा को पाने के लिये जाना चाहिए||
*मुस्कान और मदद ये दो* *ऐसे इत्र हैं जिन्हें जितना* *अधिक आप दूसरों पर* *छिड़केंगे उतने ही* *सुगन्धित आप स्वंय होंगे..
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