Skip to main content

Ek Bhakt Ne Apne Prabhu Se Pucha Ki

प्रभु से एक भक्त ने पुछा:-
"हम लोग अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा कर कीर्तन, सत्संग क्यों करते हैं जबकि ये तो बिना हाथ ऊपर करे भी किया जा सकता हैं?:
प्रभु बताते है की:-
"बच्चा जब छोटा होता हैं, तब वो अपनी माँ को देख कर अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा कर मचलने लगता हैं, तड़पने लगता हैं।
वो ये कहना चाहता हैं की मुझे अपनी गोद में उठा कर अपने सीने से लगा लो।
ठीक वैसे हैं जब एक भक्त हाथ उठा कर सत्संग करता हैं तो वो ये कहना चाहता हैं की:-
"हे गोविन्द" ,
"हे करुणानिधान" ,
"हे गोपाल" ,
"हे मेरे नाथ"
आप मेरा हाथ पकड़ लो और मुझे इस भवसागर से, इस दुखरूपी भौतिक संसार से बाहर निकाल कर अपने चरणों से लगा लो।
मेरे जीवन की नैय्या को पार लगा दो प्रभु, मुझे इन 84 लाख योनियों के चक्कर से मुक्ति दीजिये "गोविन्द"....राधे राधे जी

Comments

Popular posts from this blog

both Like

*मुस्कान और मदद ये दो*          *ऐसे इत्र हैं जिन्हें जितना*         *अधिक आप दूसरों पर*            *छिड़केंगे उतने ही*        *सुगन्धित आप स्वंय होंगे..

Chudamani Story in Ramayan

रहस्यमई “चूडामणि” का अदभुत रहस्य “ आज हम रामायण में वर्णित चूडामणि की कथा बता रहे है। इस कथा में आप जानेंगे की- १–कहाँ से आई चूडा मणि ? २–किसने दी सीता जी को चूडामणि ? ३–क्यों दिया लंका में हनुमानजी को सीता जी ने चूडामणि ? ४–कैसे हुआ वैष्णो माता का जन्म? चौ.-मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा। जैसे रघुनायक मोहि दीन्हा।। चौ–चूडामनि उतारि तब दयऊ। हरष समेत पवनसुत लयऊ।। चूडामणि कहाँ से आई? सागर मंथन से चौदह रत्न निकले, उसी समय सागर से दो देवियों का जन्म हुआ – १– रत्नाकर नन्दिनी २– महालक्ष्मी रत्नाकर नन्दिनी ने अपना तन मन श्री हरि ( विष्णु जी ) को देखते ही समर्पित कर दिया ! जब उनसे मिलने के लिए आगे बढीं तो सागर ने अपनी पुत्री को विश्वकर्मा द्वारा निर्मित दिव्य रत्न जटित चूडा मणि प्रदान की ( जो सुर पूजित मणि से बनी) थी। इतने में महालक्षमी का प्रादुर्भाव हो गया और लक्षमी जी ने विष्णु जी को देखा और मनही मन वरण कर लिया यह देखकर रत्नाकर नन्दिनी मन ही मन अकुलाकर रह गईं सब के मन की बात जानने वाले श्रीहरि रत्नाकर नन्दिनी के पास पहुँचे और धीरे से बोले ,मैं तुम्हारा भाव जानता हूँ, पृथ्व...

Right Lines | Extension of Good People

जो *पिता* के पैरों को छूता है            वो कभी *गरीब* नहीं होता। जो *मां* के पैरों को छूता है          वो कभी *बदनसीब* नही होता। जो *भाई* के पैराें को छूता है          वो कभी *गमगीन* नही होता। जो *बहन* के पैरों को छूता है        वो कभी *चरित्रहीन* नहीं होता। *जो गुरू के पैरों को छूता है*          *उस जैसा कोई*                 *खुशनसीब नहीं होता*....... 💞अच्छा *दिखने* के लिये मत जिओ           बल्कि *अच्छा* बनने के लिए जिओ💞  💞जो *झुक* सकता है वह सारी           ☄दुनिया को *झुका* सकता है 💞  💞 अगर बुरी आदत *समय पर न बदली* जाये           तो बुरी आदत *समय बदल देती* है💞   💞चलते रहने से ही *सफलता* है,           रुका हुआ तो पानी भी *बेकार* हो जाता है 💞 💞 *झूठे दिलासे* से *स्पष्ट इं...