प्रभु से एक भक्त ने पुछा:-
"हम लोग अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा कर कीर्तन, सत्संग क्यों करते हैं जबकि ये तो बिना हाथ ऊपर करे भी किया जा सकता हैं?:
प्रभु बताते है की:-
"बच्चा जब छोटा होता हैं, तब वो अपनी माँ को देख कर अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा कर मचलने लगता हैं, तड़पने लगता हैं।
वो ये कहना चाहता हैं की मुझे अपनी गोद में उठा कर अपने सीने से लगा लो।
ठीक वैसे हैं जब एक भक्त हाथ उठा कर सत्संग करता हैं तो वो ये कहना चाहता हैं की:-
"हे गोविन्द" ,
"हे करुणानिधान" ,
"हे गोपाल" ,
"हे मेरे नाथ"
आप मेरा हाथ पकड़ लो और मुझे इस भवसागर से, इस दुखरूपी भौतिक संसार से बाहर निकाल कर अपने चरणों से लगा लो।
मेरे जीवन की नैय्या को पार लगा दो प्रभु, मुझे इन 84 लाख योनियों के चक्कर से मुक्ति दीजिये "गोविन्द"....राधे राधे जी
"हम लोग अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा कर कीर्तन, सत्संग क्यों करते हैं जबकि ये तो बिना हाथ ऊपर करे भी किया जा सकता हैं?:
प्रभु बताते है की:-
"बच्चा जब छोटा होता हैं, तब वो अपनी माँ को देख कर अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा कर मचलने लगता हैं, तड़पने लगता हैं।
वो ये कहना चाहता हैं की मुझे अपनी गोद में उठा कर अपने सीने से लगा लो।
ठीक वैसे हैं जब एक भक्त हाथ उठा कर सत्संग करता हैं तो वो ये कहना चाहता हैं की:-
"हे गोविन्द" ,
"हे करुणानिधान" ,
"हे गोपाल" ,
"हे मेरे नाथ"
आप मेरा हाथ पकड़ लो और मुझे इस भवसागर से, इस दुखरूपी भौतिक संसार से बाहर निकाल कर अपने चरणों से लगा लो।
मेरे जीवन की नैय्या को पार लगा दो प्रभु, मुझे इन 84 लाख योनियों के चक्कर से मुक्ति दीजिये "गोविन्द"....राधे राधे जी
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