कर्म धर्म में हो भला , पावे जो शुभ संग ।
उस पर भक्ति प्रेम का , चढ़े कुसुम्भी रंग ।।
सन्त संग में बैठ कर , सोधे मन तन चाल।
अश्व हस्ति जब 5ही सधे, सुन्दर चले सुचाल।।0
उस पर भक्ति प्रेम का , चढ़े कुसुम्भी रंग ।।
सन्त संग में बैठ कर , सोधे मन तन चाल।
अश्व हस्ति जब 5ही सधे, सुन्दर चले सुचाल।।0
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