प्रार्थना - ए मालिक तेरे बंदे हम
ए मालिक तेरे बंदे हम ,
ऐसे हों हमारे कर्म ,
नेकी पे चलें और बदी से डरें ,
ताकि हँसते हुए निकले दम ।
ए मालिक ............
ये अँधेरा घना छा रहा,
तेरा इंसान घबरा रहा ।
हो रहा बेखबर ,
कुछ ना आता नज़र ।
सुख का सूरज छुपा जा रहा ,
है तेरी रोशनी में जो दम ।
तू अमावस को कर दे पूणम ।
नेकी पर चलें और बदी से डरें ,
ताकि हँसते हुए निकले दम ।
ए मालिक ..............
जब ज़ुल्मों का हो सामना ,
तब तू ही हमें थामना ।
वो बुराई करें , हम भलाई करें ,
नहीं बदले की हो कामना ।
बड़ उठे प्यार का हर कदम ,
और मिटे वैर का यह भ्रम ।
नेकी पर चलें और बदी से डरें ,
ताकि हँसते हुए निकले दम ।
ए मालिक .
ए मालिक तेरे बंदे हम ,
ऐसे हों हमारे कर्म ,
नेकी पे चलें और बदी से डरें ,
ताकि हँसते हुए निकले दम ।
ए मालिक ............
ये अँधेरा घना छा रहा,
तेरा इंसान घबरा रहा ।
हो रहा बेखबर ,
कुछ ना आता नज़र ।
सुख का सूरज छुपा जा रहा ,
है तेरी रोशनी में जो दम ।
तू अमावस को कर दे पूणम ।
नेकी पर चलें और बदी से डरें ,
ताकि हँसते हुए निकले दम ।
ए मालिक ..............
जब ज़ुल्मों का हो सामना ,
तब तू ही हमें थामना ।
वो बुराई करें , हम भलाई करें ,
नहीं बदले की हो कामना ।
बड़ उठे प्यार का हर कदम ,
और मिटे वैर का यह भ्रम ।
नेकी पर चलें और बदी से डरें ,
ताकि हँसते हुए निकले दम ।
ए मालिक .
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