*"स्वयं को माचिस की तीली न बनएँ*
*जो थोड़ा सा घर्षण लगते ही सुलग उठे,*
*स्वयं को वह शांत सरोवर बनाए,* *जिसमें कोई अंगारा भी फैंके तो,*
*...वह खुद ही बुझ जाए...।।"*
*ख़ुश रहें... स्वस्थ रहें*..
*जो थोड़ा सा घर्षण लगते ही सुलग उठे,*
*स्वयं को वह शांत सरोवर बनाए,* *जिसमें कोई अंगारा भी फैंके तो,*
*...वह खुद ही बुझ जाए...।।"*
*ख़ुश रहें... स्वस्थ रहें*..
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