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Showing posts from December, 2017

तमन्ना यही है कि सर को

🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻 तमन्ना यही है कि सर को झुका लूँ तेरा दर्शन मैं जी भरके पालूँ  सीवा दिल के टुकड़ो के ऐ मेरे मालिक मैं कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हूँ  मैं आ तो गया हूँ मगर जानता हूँ मैं इस दर पे आने के काबिल नहीं हूँ  🙏🏻🌹😭🙏🏻🌹😭🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹

आवश्यकता हैं सच्चे समर्पण

🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹जो भक्त मेरा आश्रय ग्रहण करता है,मेरा हो जाता है उसका योगक्षेम मैं स्वयं वहन करता हूँ !{श्री मद्भगवद्गीता जी} अर्जुन हर रात्रि सोने से पहले 51 बार राम नाम की माला फेरा करता ,महाभारत का युद्ध चल रहा था !अर्जुन अपने पक्ष का प्रमुख योद्धा था !अत:अति वयस्त रहा करता !आज जब रात्रि शिविर में पंहुचा तो काफी थका हुआ है !माला फेरने बैठा है पर थकान की वजह से कुछ ही माला फेरते ही नींद आ गयी है ;माला हाथ से छिटक गयी है !थोड़े समय बाद आँख खुली है तो क्या देखते है एक व्यक्ति उनके शिविर में अँधेरे कोने में बैठा है ;पास जा कर देखा श्री कृष्ण आँखे मूंद कर माला फेर रहे है !पूछा माधव आप यहाँ इतनी रात गए ;मुझे बुला लिया होता ;आपने क्यों कष्ट किया !भगवान श्री कहते है :अर्जुन तेरा एक काम अधूरा पड़ा था ;उसे पूरा करने आया हूँ !साधकजनों जो अपने जीवन की बागडोर प्रभु के हाथो सौप देते है ,प्रभु उनके लिए क्या-२ नहीं करते !आवश्यकता हैं सच्चे समर्पण की ;अपने आप तक को प्रभु के चरणों में चढाने की !{श्री महाराज जी} सब बोलो जय शीरी राम जी 🌹🙏🙏🌹

जीवन में सफलता मिले तो घमंड मत करना

महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण के बीच घमासान चल रहा था । अर्जुन का तीर लगने पर कर्ण का रथ 25-30 हाथ पीछे खिसक जाता , और कर्ण के तीर से अर्जुन का रथ सिर्फ 2-3 हाथ । लेकिन श्री कृष्ण थे कि कर्ण के वार की तारीफ़ किये जाते, अर्जुन की तारीफ़ में कुछ ना कहते । अर्जुन बड़ा व्यथित हुआ, पूछा , *हे पार्थ ! आप मेरे शक्तिशाली प्रहारों की बजाय कर्ण के कमजोर प्रहारों की तारीफ़ कर रहे हैं , ऐसा क्या कौशल है उसमें ?* श्रीकृष्ण मुस्कुराये और बोले-- *हे कौन्तेय ! तुम्हारे रथ की रक्षा के लिए ध्वज पर हनुमान जी, पहियों पर शेषनाग लिपटे हैं और सारथी-रूप में खुद नारायण तीनों लोकों का भार लिये बैठा हूँ । उसके बावजूद उसके प्रहार से अगर ये रथ एक हाथ भी खिसकता है तो उसके पराक्रम की तारीफ़ तो बनती है ।* कहते हैं युद्ध समाप्त होने के बाद जैसे ही श्री कृष्ण रथ से उतरे , रथ स्वतः ही भस्म हो गया । वो तो कर्ण के प्रहार से कब का भस्म हो चुका था, पर नारायण बिराजे थे इसलिए चलता रहा । ये देख अर्जुन का सारा घमंड चूर चूर हो गया । *कभी जीवन में सफलता मिले तो घमंड मत करना, कर्म तुम्हारे हैं पर आशीष ऊपर वाले का है । और

कृपा करो श्री राम

कृपा करो श्री राम सब पर कृपा करो l  कृपा करो महाराज सब पर कृपा करो l  कृपा करो गुरुदेव सब पर कृपा करो l कृपा करो महाराज सब पर कृपा करो l